Duration: (46:20) ?Subscribe5835 2025-02-19T16:14:41+00:00
मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/94(12/09/22) पुनरावलोकन। (Revision)
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-3/115,4/81। क्या हमें दुःख सच्चेभासित होतेहै,तो उपायभी सच्चाकरना होगा, मंगलाचरण।
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/166(17/12/22) शास्त्रादिक पढ़ाहो/नापढ़ाहो,परंतु स्वरूपकोपहिचानता है वह ज्ञानी.
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/130(21/10/22)सांसारिक प्रयोजनार्थ धर्मधारक व्यवहाराभासी
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-4/83। जिनवाणी किससे सुनना या समझना।
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/179(09/01/23)अध्यात्मशास्त्रों में भेदविज्ञान को कारणभूत व वितरागदशा होनेको...
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/42।पं संदीपजी मेहता।तप- स्वाधीन रूप से ऐसा साधन हो तो पराधीनता में विचलित नाहो
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रागादि वर्णादि भाव जीव नहीं | समयसार - 050 || आचार्य कुन्दकुन्ददेव || ASK Umarala (GJ) || 2024-12-31
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वैराग्य महाकाव्य - पहला सर्ग || Vairagya Mahakavya Sarg-01 (Dr.Hukamchand Bharill)
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1. मोक्षमार्ग प्रकाशक (Page 1)
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3. मोक्षमार्ग प्रकाशक - Live (Page 2)
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MV-4 - Pu. Gurudevshree Kanjiswami's Pravachan No. 11 on Shree Ishtopdesh Dohra: 12, 13 #mangalvani
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2. मोक्षमार्ग प्रकाशक - Live (Page 2)
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11. मोक्षमार्ग प्रकाशक - Live (Page 7,8)
(45:23)
4. मोक्षमार्ग प्रकाशक - Live (Page 3)
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10. मोक्षमार्ग प्रकाशक (नौवाँ अधिकार पूर्ण एक ही प्रवचन में)
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मोमाप्र-अ-9/45(17/2/25)सम्यग्दृष्टि के चारित्र तो है नहीं, वह मोक्षमार्ग में स्थित है या नहीं ?🤔🤔
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-4/83। भूल मिटाने का उपाय सर्वप्रथम भूल को स्वीकार करना। मिथ्यादर्शन का स्वरूप।
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-3/106। देवगति के दुःख।
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/152(23/11/22) गुरु भक्ति का अन्यथा रूप।
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/246(25/3/23) निर्जरातत्व-शुभ/अशुभभावको छोड़ शुद्धभाव में जायें, तो तप होता है
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/16।पं.संदीपजी मेहता।द्रव्य से नहीं पर्याय से स्वयं को अकर्ता मानता है।06-06-22
मोक्षमार्गप्रकाशक-अ.-2/106।पं.संदीप जी मेहता।वेदनीय से बाह्य सामग्री,मोह के सहकार से सुख दुख का वेदन
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ.-2/111।पं.संदीप जी मेहता। आयुकर्मोदयजन्य अवस्था।
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/66(31/07/22) केवल निश्चयाभास के अवलम्बी जीव की प्रवृत्ति। एक शुद्धात्मा को ...
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/200(31/1/23) बन्धतत्व का अन्यथा रूप।
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-4/84। मिथ्यादर्शन का स्वरूप।
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मोक्षमार्गप्रकाशक-अ-7/60(25/07/22) भलीवासना,भलेनिमित्त से स्थिति अनुभाग मंद व सम्यक्त्व की प्राप्ति
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