Duration: (49:11) ?Subscribe5835 2025-02-21T07:24:34+00:00
मोमाप्र-अ-8/151(22/11/24)सत्य-असत्यका निर्णय नहो सकेतो 'केवलीको भासित हुएहैं वैसे प्रमाणहैं' मानलेना
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मोमाप्र-अ-9/39(11/2/25)चरित्रमोहका मंदउदय हो पुरुषार्थसे धर्मकार्यों/वैराग्यादि भावनामें उपयोग लगे
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मोमाप्र-अ-8/92(21/8/24)आत्मानुभवही सर्वोत्तमकार्य हैअन्यविकल्पसे बचनेकेलिए स्वाध्यायकीरुची होनीचाहिए
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मोमाप्र-अ-9/35(7/2/25) प्रमाद=मंदकषाय से विषय कषाय के कार्यों/व्यवहार धर्म कार्यों में प्रवर्तन करें
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मोमाप्र-अ-8/89(18/8/24)प्रथमानुयोग में दोष-कल्पना का निराकरण
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मोमाप्र-अ-9/44(16/2/25) मोक्ष के तीन प्रकार के कारण-कौन मुख्य कारण,निमित्त उपादन, समर्थ असमर्थ 🤔🤔
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मोमाप्र-अ-9/43(15/2/25) मोक्ष के तीन प्रकार के कारणों की चर्चा।
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मोमाप्र-अ-9/46(18/2/25)मोक्षमार्गके निर्देश,लक्षणनिर्देश और परीक्षाद्वार-लक्षण और लक्षणाभास की चर्चा
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मोमाप्र-अ-9/47(19/2/25)मोक्षमार्ग में सम्यग्दर्शनके लक्षण की चर्चा
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मोमाप्र-अ-8/91(20/8/24) करणानुयोग में दोष-कल्पना का निराकरण।
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मोमाप्र-अ-7/494(22/3/24) प्रायोग्य लब्धि।
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मोमाप्र-अ-9/45(17/2/25)सम्यग्दृष्टि के चारित्र तो है नहीं, वह मोक्षमार्ग में स्थित है या नहीं ?🤔🤔
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मोमाप्र-अ-8/101(21/9/24)द्रव्यानुयोगमें दोष-कल्पना का निराकरण।
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मोमाप्र-अ-9/20(22/1/25) मोक्ष का वास्तविक पुरूषार्थ किसे कहना?🤔
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मोमाप्र-अ-8/88(17/8/24) अनुयोगों मेंदोष-कल्पनाओं का निराकरण।
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मोमाप्र-अ-9/5(13/12/24) आकुलता होती है वह तो रागादि कषाय भाव होने पर होती है।
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मोमाप्र-अ-9/25(28/1/25)सच्चे उपदेशसे निर्णय करने पर(मोह के स्थिति अनुभाग भी घटते हैं)भ्रमदूर होता है
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मोमाप्र-अ-8/90(19/8/24) करणानुयोग में दोष-कल्पना का निराकरण।
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मोमाप्र-अ-7/412(16/11/23) परद्रव्योंसे नहीं आत्मा अपने भाव रागादिक हैं उन्हें छोड़कर वीतरागी होता है
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मोमाप्र-अ-9/29(1/2/25) तत्वनिर्णय में उपयोग नहीं लगे वह तो मेरा ही दोष है।
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