Duration: (1:4:45) ?Subscribe5835 2025-02-28T20:16:59+00:00
68 समयसार, कलश 9 अनुभव होने पर👍🙏उदयति न नयश्री👍👍
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210. समयसार, गाथा-68 (गुणस्थान आदि नित्य अचेतन👍👍👌)
Ep 68 | Bhedjnan : Jnanma Leeti Doro! | Natak Samaysaar - Jeevdwar
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218. समयसार, गाथा-1 से 68 तक सार व कर्ता-कर्म अधिकार शुरू👍
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EP No-68 समयसार जी पंडित रतनलाल जी बैनाड़ा
(25:27)
68-समयसार कलश 16 से 19 // 22.08.20१२ // डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल
(58:33)
68-समयसार कलश २३ कथमपि मृत्वा
(1:14:9)
141 श्री समयसार जी : गाथा 68 कलश 41 : Pt. Rajendra Kumar Jain, Jabalpur (M.P.)
(42:55)
68 समयसार प्रवचन
(45:43)
208. समयसार, कलश-38-39 (आत्मा सोना या लोहा🤔👍29 बोलों का बंटवारा👌👌)
(51:10)
जीवन कैसे जीवें ?
(58:48)
8- भव्य प्रमोद( भक्ति अष्टक)
(45:36)
429. समयसार, गाथा-186 (शुद्ध जाने वो शुद्धता को प्राप्त👍👌)
(51:25)
Ep 69 | Tirthankar Bhagwanna Shariradini Stuti | Natak Samaysaar - Jeevdwar (Chhand 25,26)
(1:7:59)
सहजता : डॉ. हुकमचंदजी भारिल्ल द्वारा कृत स्वर - डॉ. गौरव जैन सौगानी एवं श्रीमती दीपशिखा जैन सौगानी
(10:1econd)
''समाधि का सार'' डॉ. हुकमचंदजी भारिल्ल स्वर - डॉ. गौरव जैन सौगानी एवं श्रीमती दीपशिखा जैन सौगानी
(22:28)
योगवासिष्ठ - सत्र ७७- तारीख - २५-फरवरी-२०२५ - शरीर मे आसक्ति ना रखे, तीन प्रकार के अहंभाव ।
(1:2:23)
159-Pravachansar Gatha-112-114// 11.02.2016 // Dr.Bharill
(1:2:25)
समयसारजी | पूर्वरंग | गाथा 1-38 | प्राकृत पाठ
(13:50)
Jain Pathshala | Samaysar || EP-281 || Ach.108 Pragya sagar Ji M.h। | समयसार ग्रन्थ
(28:23)
140 श्री समयसार जी : गाथा 68 : Pt. Rajendra Kumar Jain, Jabalpur (M.P.)
(48:15)
68-समयसार कलश 20 ‘-pradeep jhanjhari's
(1:24:5)
48. सार समयसार का || गाथा- 67-68 व कलश -40-41|| दिनांक –11 /11/2021 डॉ. शान्तिकुमारजी पाटिल ||
(1:4:16)
24/02/2023 //समयसार गाथा 68 (टीका)// डॉ . शान्तिकुमार जी पाटील
(58:4)
68. समयसार की पाठशाला *आत्मानुभूति या शुद्धनय या ज्ञानानुभूति, सब एक ही बात -स.सा.कलश 13 *13.08.2022
(19:15)
*58- श्री समयसार जी गाथा 68(समयसार की महिमा)
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218 समयसार, गाथा 1 से 68 तक सार व कर्ता कर्म अधिकार शुरू👍
68 SamaySar समयसार गाथा147,148 श्री रतनलालजी बेनाडा
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210 समयसार, गाथा 68 गुणस्थान आदि नित्य अचेतन👍👍👌
68- समयसार कलश टीका 84-89 चित स्वरूप तो चित स्वरूप ही है
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68 समयसार कलश 157 डॉ हुकमचंद भारिल्ल
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