Duration: (1:2:10) ?Subscribe5835 2025-02-06T04:04:02+00:00
37) प्रवचनसार जी गाथा 207...
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प्रवचनसार जी गाथा-170 -171 || पूण्य जहर ही है चाहे किसी भी प्रकार का हो कैसा भी हो जहर ही है ||
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11 श्री प्रवचनसार जी : गाथा 80 : द्रव्य-गुण-पर्याय का स्वरूप : Br. Sumatprakash Ji, Khaniyadhana
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21/01/25 “ श्री प्रवचनसार जी ग्रंथाधिराज \
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प्रवचनसार #1,2 | मंगलाचरण | Manglacharan | Pravachansaar | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी
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''समाधि का सार'' डॉ. हुकमचंदजी भारिल्ल स्वर - डॉ. गौरव जैन सौगानी एवं श्रीमती दीपशिखा जैन सौगानी
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82.Art of Living | जीवन जीने की कला | सुखी होने की विधी Bal Br.Sumat Prakashji-Method of happiness
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प्रवचनसार #033,034 | श्रुत केवली भगवान का स्वरूप | Shrut Kewli Bhagwan Ka Swaroop |मुनि प्रणम्य सागर
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अमूल्य तत्व विचार - #1 | Shrimad Rajchandra | Satsang by Sri Guru
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योगा, प्राणायाम और ओंकार ध्यान का बेसिक कोर्स - Shri Chandraprabhji #श्रीचंद्रप्रभ #ShriChandraprabh
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ज्ञानी जीव का राग कैसा होता है : विशेष प्रवचन : Dr. Hukumchand Bharill, Jaipur
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01. धर्म की सहजता और सरलता l B Br. Shri Sumat Prakash Ji l Saki Naka l 24-04-2019-AM
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प्रवचनसार जी गाथा- 16 || किसी भी पर्याय को सम्बन्ध और सम्बोधन की जरूरत नहीं || \
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प्रवचनसार जी गाथा-15 || शुद्धोपयोग का फल केवलज्ञान है जिसे प्रगट होगा वह मैं हूं। 12/10/21 सुबह
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09 श्री प्रवचनसार जी : गाथा 80 : द्रव्य-गुण-पर्याय का स्वरूप : Br. Sumatprakash Ji, Khaniyadhana
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॥ आ. पंडित सम्मेद जी शास्त्री॥ विषय :- प्रवचनसार जी॥ 03-02-25॥
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16/01/25 \
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40) प्रवचनसार जी गाथा 272 सहज जीवन \
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376. प्रवचनसार जी गाथा नं 99 पार्ट - 2
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04 श्री प्रवचनसार जी : गाथा 80 : द्रव्य-गुण-पर्याय का स्वरूप : Br. Sumatprakash Ji, Khaniyadhana
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319. प्रवचनसार जी गाथा नं 88 पार्ट - 2
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41 प्रवचनसार जी गाथा 208,209
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01 श्री प्रवचनसार जी : चरणानुयोग सूचक चूलिका : गाथा 232 : Br. Sumatprakash Ji, Khaniyadhana
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321. प्रवचनसार जी गाथा नं 88 पार्ट - 4
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11 श्री प्रवचनसार जी : ज्ञान तत्त्व प्रज्ञापन : गाथा 88-90 : शिखरजी प्रवास : Br. Sumatprakash Ji
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05 श्री प्रवचनसार जी : गाथा 80 : द्रव्य-गुण-पर्याय का स्वरूप : Br. Sumatprakash Ji, Khaniyadhana
(1:4:15)
09 श्री प्रवचनसार जी : ज्ञान तत्त्व प्रज्ञापन : गाथा 88 : शिखरजी प्रवास : Br. Pt. Sumatprakash Ji
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